لَنْ يَّنَالَ اللّٰهَ لُحُوْمُهَا وَلَا دِمَاۤؤُهَا وَلٰكِنْ يَّنَالُهُ التَّقْوٰى مِنْكُمْۗ كَذٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰى مَا هَدٰىكُمْ ۗ وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِيْنَ ( الحج: ٣٧ )
Lan yanala Allaha luhoomuha wala dimaoha walakin yanaluhu alttaqwa minkum kathalika sakhkharaha lakum litukabbiroo Allaha 'ala ma hadakum wabashshiri almuhsineena (al-Ḥajj 22:37)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
न उनके माँस अल्लाह को पहुँचते है और न उनके रक्त। किन्तु उसे तुम्हारा तक़वा (धर्मपरायणता) पहुँचता है। इस प्रकार उसने उन्हें तुम्हारे लिए वशीभूत किया है, ताकि तुम अल्लाह की बड़ाई बयान करो, इसपर कि उसने तुम्हारा मार्गदर्शन किया और सुकर्मियों को शुभ सूचना दे दो
English Sahih:
Their meat will not reach Allah, nor will their blood, but what reaches Him is piety from you. Thus have We subjected them to you that you may glorify Allah for that [to] which He has guided you; and give good tidings to the doers of good. ([22] Al-Hajj : 37)