الَّذِيْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَالصَّابِرِيْنَ عَلٰى مَآ اَصَابَهُمْ وَالْمُقِيْمِى الصَّلٰوةِۙ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ ( الحج: ٣٥ )
Allatheena itha thukira Allahu wajilat quloobuhum waalssabireena 'ala ma asabahum waalmuqeemee alssalati wamimma razaqnahum yunfiqoona (al-Ḥajj 22:35)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ये वे लोग है कि जब अल्लाह को याद किया जाता है तो उनके दिल दहल जाते है और जो मुसीबत उनपर आती है उसपर धैर्य से काम लेते है और नमाज़ को क़ायम करते है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है
English Sahih:
Who, when Allah is mentioned, their hearts are fearful, and [to] the patient over what has afflicted them, and the establishers of prayer and those who spend from what We have provided them. ([22] Al-Hajj : 35)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल हमारे) गिड़गिड़ाने वाले बन्दों को (बेहश्त की) खुशख़बरी दे दो ये वह हैं कि जब (उनके सामने) खुदा का नाम लिया जाता है तो उनके दिल सहम जाते हैं और जब उनपर कोई मुसीबत आ पड़े तो सब्र करते हैं और नमाज़ पाबन्दी से अदा करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दे रखा है उसमें से (राहे खुदा में) ख़र्च करते हैं