Skip to main content

ذٰلِكَ وَمَنْ يُّعَظِّمْ شَعَاۤىِٕرَ اللّٰهِ فَاِنَّهَا مِنْ تَقْوَى الْقُلُوْبِ   ( الحج: ٣٢ )

That
ذَٰلِكَ
ये है (हुक्म)
and whoever
وَمَن
और जो
honors
يُعَظِّمْ
ताज़ीम करेगा
(the) Symbols
شَعَٰٓئِرَ
अल्लाह की निशानियों की
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की निशानियों की
then indeed it
فَإِنَّهَا
तो बेशक वो
(is) from
مِن
तक़्वा में से है
(the) piety
تَقْوَى
तक़्वा में से है
(of) the hearts
ٱلْقُلُوبِ
दिलों के

Thalika waman yu'aththim sha'aira Allahi fainnaha min taqwa alquloobi (al-Ḥajj 22:32)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इन बातों का ख़याल रखो। और जो कोई अल्लाह के नाम लगी चीज़ों का आदर करे, तो निस्संदेह वे (चीज़ें) दिलों के तक़वा (धर्मपरायणता) से सम्बन्ध रखती है

English Sahih:

That [is so]. And whoever honors the symbols [i.e., rites] of Allah – indeed, it is from the piety of hearts. ([22] Al-Hajj : 32)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ये (याद रखो) और जिस शख्स ने खुदा की निशानियों की ताज़ीम की तो कुछ शक नहीं कि ये भी दिलों की परहेज़गारी से हासिल होती है