اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَيَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَالْمَسْجِدِ الْحَرَامِ الَّذِيْ جَعَلْنٰهُ لِلنَّاسِ سَوَاۤءً ۨالْعَاكِفُ فِيْهِ وَالْبَادِۗ وَمَنْ يُّرِدْ فِيْهِ بِاِلْحَادٍۢ بِظُلْمٍ نُّذِقْهُ مِنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ ࣖ ( الحج: ٢٥ )
Inna allatheena kafaroo wayasuddoona 'an sabeeli Allahi waalmasjidi alharami allathee ja'alnahu lilnnasi sawaan al'akifu feehi waalbadi waman yurid feehi biilhadin bithulmin nuthiqhu min 'athabin aleemin (al-Ḥajj 22:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने इनकार किया और वे अल्लाह के मार्ग से रोकते हैं और प्रतिष्ठित मस्जिद (काबा) से, जिसे हमने सब लोगों के लिए ऐसा बनाया है कि उसमें बराबर है वहाँ का रहनेवाला और बाहर से आया हुआ। और जो व्यक्ति उस (प्रतिष्ठित मस्जिद) में कुटिलता अर्थात ज़ूल्म के साथ कुछ करना चाहेगा, उसे हम दुखद यातना का मज़ा चखाएँगे
English Sahih:
Indeed, those who have disbelieved and avert [people] from the way of Allah and [from] al-Masjid al-Haram, which We made for the people – equal are the resident therein and one from outside – and [also] whoever intends [a deed] therein of deviation [in religion] by wrongdoing – We will make him taste of a painful punishment. ([22] Al-Hajj : 25)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
बेशक जो लोग काफिर हो बैठे और खुदा की राह से और मस्जिदें मोहतरम (ख़ानए काबा) से जिसे हमने सब लोगों के लिए (माबद) बनाया है (और) इसमें शहरी और बेरूनी सबका हक़ बराबर है (लोगों को) रोकते हैं (उनको) और जो शख्स इसमें शरारत से गुमराही करे उसको हम दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखा देंगे