اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يَسْجُدُ لَهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ وَالشَّمْسُ وَالْقَمَرُ وَالنُّجُوْمُ وَالْجِبَالُ وَالشَّجَرُ وَالدَّوَاۤبُّ وَكَثِيْرٌ مِّنَ النَّاسِۗ وَكَثِيْرٌ حَقَّ عَلَيْهِ الْعَذَابُۗ وَمَنْ يُّهِنِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ مُّكْرِمٍۗ اِنَّ اللّٰهَ يَفْعَلُ مَا يَشَاۤءُ ۩ۗ ( الحج: ١٨ )
Alam tara anna Allaha yasjudu lahu man fee alssamawati waman fee alardi waalshshamsu waalqamaru waalnnujoomu waaljibalu waalshshajaru waalddawabbu wakatheerun mina alnnasi wakatheerun haqqa 'alayhi al'athabu waman yuhini Allahu fama lahu min mukrimin inna Allaha yaf'alu ma yashao (al-Ḥajj 22:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या तुमनें देखा नहीं कि अल्लाह ही को सजदा करते है वे सब जो आकाशों में है और जो धरती में है, और सूर्य, चन्द्रमा, तारे पहाड़, वृक्ष, जानवर और बहुत-से मनुष्य? और बहुत-से ऐसे है जिनपर यातना का औचित्य सिद्ध हो चुका है, और जिसे अल्लाह अपमानित करे उस सम्मानित करनेवाला कोई नहीं। निस्संदेह अल्लाह जो चाहे करता है
English Sahih:
Do you not see [i.e., know] that to Allah prostrates whoever is in the heavens and whoever is on the earth and the sun, the moon, the stars, the mountains, the trees, the moving creatures and many of the people? But upon many the punishment has been justified. And he whom Allah humiliates – for him there is no bestower of honor. Indeed, Allah does what He wills. ([22] Al-Hajj : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
क्या तुमने इसको भी नहीं देखा कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं और आफताब और माहताब और सितारे और पहाड़ और दरख्त और चारपाए (ग़रज़ कुल मख़लूक़ात) और आदमियों में से बहुत से लोग सब खुदा ही को सजदा करते हैं और बहुतेरे ऐसे भी हैं जिन पर नाफ़रमानी की वजह से अज़ाब का (का आना) लाज़िम हो चुका है और जिसको खुदा ज़लील करे फिर उसका कोई इज्ज़त देने वाला नहीं कुछ शक नहीं कि खुदा जो चाहता है करता है (18) सजदा