وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّعْبُدُ اللّٰهَ عَلٰى حَرْفٍۚ فَاِنْ اَصَابَهٗ خَيْرُ ِۨاطْمَـَٔنَّ بِهٖۚ وَاِنْ اَصَابَتْهُ فِتْنَةُ ِۨانْقَلَبَ عَلٰى وَجْهِهٖۗ خَسِرَ الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةَۗ ذٰلِكَ هُوَ الْخُسْرَانُ الْمُبِيْنُ ( الحج: ١١ )
Wamina alnnasi man ya'budu Allaha 'ala harfin fain asabahu khayrun itmaanna bihi wain asabathu fitnatun inqalaba 'ala wajhihi khasira alddunya waalakhirata thalika huwa alkhusranu almubeenu (al-Ḥajj 22:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और लोगों में कोई ऐसा है, जो एक किनारे पर रहकर अल्लाह की बन्दगी करता है। यदि उसे लाभ पहुँचा तो उससे सन्तुष्ट हो गया और यदि उसे कोई आज़माइश पेश आ गई तो औंधा होकर पलट गया। दुनिया भी खोई और आख़िरत भी। यही है खुला घाटा
English Sahih:
And of the people is he who worships Allah on an edge. If he is touched by good, he is reassured by it; but if he is struck by trial, he turns on his face [to unbelief]. He has lost [this] world and the Hereafter. That is what is the manifest loss. ([22] Al-Hajj : 11)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो एक किनारे पर (खड़े होकर) खुदा की इबादत करता है तो अगर उसको कोई फायदा पहुँच गया तो उसकी वजह से मुतमईन हो गया और अगर कहीं उस कोई मुसीबत छू भी गयी तो (फौरन) मुँह फेर के (कुफ़्र की तरफ़) पलट पड़ा उसने दुनिया और आखेरत (दोनों) का घाटा उठाया यही तो सरीही घाटा है