قَالَ بَصُرْتُ بِمَا لَمْ يَبْصُرُوْا بِهٖ فَقَبَضْتُ قَبْضَةً مِّنْ اَثَرِ الرَّسُوْلِ فَنَبَذْتُهَا وَكَذٰلِكَ سَوَّلَتْ لِيْ نَفْسِيْ ( طه: ٩٦ )
He said
قَالَ
उसने कहा
"I perceived
بَصُرْتُ
देखा मैंने
what
بِمَا
उसे जो
not
لَمْ
नहीं
they perceive
يَبْصُرُوا۟
उन्होंने देखा
in it
بِهِۦ
जिसे
so I took
فَقَبَضْتُ
पस मुट्ठी भर ली मैंने
a handful
قَبْضَةً
एक मुट्ठी
from
مِّنْ
नक़्शे क़दम से
(the) track
أَثَرِ
नक़्शे क़दम से
(of) the Messenger
ٱلرَّسُولِ
रसूल के
then threw it
فَنَبَذْتُهَا
तो डाल दिया मैंने उसे
and thus
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
suggested
سَوَّلَتْ
अच्छा करके दिखाया
to me
لِى
मेरे लिए
my soul"
نَفْسِى
मेरे नफ़्स ने
Qala basurtu bima lam yabsuroo bihi faqabadtu qabdatan min athari alrrasooli fanabathtuha wakathalika sawwalat lee nafsee (Ṭāʾ Hāʾ 20:96)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने कहा, 'मुझे उसकी सूझ प्राप्त हुई, जिसकी सूझ उन्हें प्राप्त॥ न हुई। फिर मैंने रसूल के पद-चिन्ह से एक मुट्ठी उठा ली। फिर उसे डाल दिया और मेरे जी ने मुझे कुछ ऐसा ही सुझाया।'
English Sahih:
He said, "I saw what they did not see, so I took a handful [of dust] from the track of the messenger and threw it, and thus did my soul entice me." ([20] Taha : 96)