اِنَّهٗ مَنْ يَّأْتِ رَبَّهٗ مُجْرِمًا فَاِنَّ لَهٗ جَهَنَّمَ ۗ لَا يَمُوْتُ فِيْهَا وَلَا يَحْيٰى ( طه: ٧٤ )
Indeed he
إِنَّهُۥ
बेशक वो
who
مَن
जो
comes
يَأْتِ
आएगा
(to) his Lord
رَبَّهُۥ
अपने रब के पास
(as) a criminal
مُجْرِمًا
मुजरिम होकर
then indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
for him
لَهُۥ
उसके लिए
(is) Hell
جَهَنَّمَ
जहन्नम है
Not
لَا
ना वो मरेगा
he will die
يَمُوتُ
ना वो मरेगा
in it
فِيهَا
उसमें
and not
وَلَا
और ना
live
يَحْيَىٰ
वो ज़िन्दा रहेगा
Innahu man yati rabbahu mujriman fainna lahu jahannama la yamootu feeha wala yahya (Ṭāʾ Hāʾ 20:74)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सत्य यह है कि जो कोई अपने रब के पास अपराधी बनकर आया उसके लिए जहन्नम है, जिसमें वह न मरेगा और न जिएगा
English Sahih:
Indeed, whoever comes to his Lord as a criminal – indeed, for him is Hell; he will neither die therein nor live. ([20] Taha : 74)