اِذْ تَمْشِيْٓ اُخْتُكَ فَتَقُوْلُ هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰى مَنْ يَّكْفُلُهٗ ۗفَرَجَعْنٰكَ اِلٰٓى اُمِّكَ كَيْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ ەۗ وَقَتَلْتَ نَفْسًا فَنَجَّيْنٰكَ مِنَ الْغَمِّ وَفَتَنّٰكَ فُتُوْنًا ەۗ فَلَبِثْتَ سِنِيْنَ فِيْٓ اَهْلِ مَدْيَنَ ەۙ ثُمَّ جِئْتَ عَلٰى قَدَرٍ يّٰمُوْسٰى ( طه: ٤٠ )
Ith tamshee okhtuka fataqoolu hal adullukum 'ala man yakfuluhu faraja'naka ila ommika kay taqarra 'aynuha wala tahzana waqatalta nafsan fanajjaynaka mina alghammi wafatannaka futoonan falabithta sineena fee ahli madyana thumma jita 'ala qadarin ya moosa (Ṭāʾ Hāʾ 20:40)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है
English Sahih:
[And We favored you] when your sister went and said, 'Shall I direct you to someone who will be responsible for him?' So We restored you to your mother that she might be content and not grieve. And you killed someone, but We saved you from retaliation and tried you with a [severe] trial. And you remained [some] years among the people of Madyan. Then you came [here] at the decreed time, O Moses. ([20] Taha : 40)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(उस वक्त) ज़ब तुम्हारी बहन चली (और फिर उनके घर में आकर) कहने लगी कि कहो तो मैं तुम्हें ऐसी दाया बताऊँ कि जो इसे अच्छी तरह पाले तो (इस तदबीर से) हमने फिर तुमको तुम्हारी माँ के पास पहुँचा दिया ताकि उसकी ऑंखें ठन्डी रहें और तुम्हारी (जुदाई पर) कुढ़े नहीं और तुमने एक शख्स (क़िबती) को मार डाला था और सख्त परेशान थे तो हमने तुमको (इस) ग़म से नजात दी और हमने तुम्हारा अच्छी तरह इम्तिहान कर लिया फिर तुम कई बरस तक मदयन के लोगों में जाकर रहे ऐ मूसा फिर तुम (उम्र के) एक अन्दाजे पर आ गए नबूवत के क़ायल हुए