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اِنَّ السَّاعَةَ اٰتِيَةٌ اَكَادُ اُخْفِيْهَا لِتُجْزٰى كُلُّ نَفْسٍۢ بِمَا تَسْعٰى   ( طه: ١٥ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
the Hour
ٱلسَّاعَةَ
क़यामत
(will be) coming
ءَاتِيَةٌ
आने वाली है
I almost
أَكَادُ
क़रीब है कि मैं
[I] hide it
أُخْفِيهَا
मैं ख़ुफ़िया रखूँगा उसे
that may be recompensed
لِتُجْزَىٰ
ताकि बदला दिया जाए
every
كُلُّ
हर नफ़्स
soul
نَفْسٍۭ
हर नफ़्स
for what
بِمَا
उसका जो
it strives
تَسْعَىٰ
उसने कोशिश की

Inna alssa'ata atiyatun akadu okhfeeha litujza kullu nafsin bima tas'a (Ṭāʾ Hāʾ 20:15)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निश्चय ही वह (क़ियामत की) घड़ी आनेवाली है - शीघ्र ही उसे लाऊँगा, उसे छिपाए रखता हूँ - ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो प्रयास वह करता है, उसका बदला पाए

English Sahih:

Indeed, the Hour is coming – I almost conceal it – so that every soul may be recompensed according to that for which it strives. ([20] Taha : 15)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(क्योंकि) क़यामत ज़रूर आने वाली है और मैं उसे लामहौला छिपाए रखूँगा ताकि हर शख्स (उसके ख़ौफ से नेकी करे) और वैसी कोशिश की है उसका उसे बदला दिया जाए