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وَلَوْ اَنَّآ اَهْلَكْنٰهُمْ بِعَذَابٍ مِّنْ قَبْلِهٖ لَقَالُوْا رَبَّنَا لَوْلَآ اَرْسَلْتَ اِلَيْنَا رَسُوْلًا فَنَتَّبِعَ اٰيٰتِكَ مِنْ قَبْلِ اَنْ نَّذِلَّ وَنَخْزٰى   ( طه: ١٣٤ )

And if
وَلَوْ
और अगर
We
أَنَّآ
बेशक हम
(had) destroyed them
أَهْلَكْنَٰهُم
हलाक कर देते हम उन्हें
with a punishment
بِعَذَابٍ
साथ किसी अज़ाब के
before him
مِّن
इससे पहले
before him
قَبْلِهِۦ
इससे पहले
surely they (would) have said
لَقَالُوا۟
अलबत्ता वो कहते
"Our Lord
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
why not
لَوْلَآ
क्यों ना
You sent
أَرْسَلْتَ
भेजा तूने
to us
إِلَيْنَا
तरफ़ हमारे
a Messenger
رَسُولًا
कोई रसूल
so we (could) have followed
فَنَتَّبِعَ
तो हम पैरवी करते
Your signs
ءَايَٰتِكَ
तेरी आयात की
before
مِن
इससे पहले
before
قَبْلِ
इससे पहले
[that]
أَن
कि
we were humiliated
نَّذِلَّ
हम ज़लील होते
and disgraced"
وَنَخْزَىٰ
और हम रुस्वा होते

Walaw anna ahlaknahum bi'athabin min qablihi laqaloo rabbana lawla arsalta ilayna rasoolan fanattabi'a ayatika min qabli an nathilla wanakhza (Ṭāʾ Hāʾ 20:134)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि हम उसके पहले इन्हें किसी यातना से विनष्ट कर देते तो ये कहते कि 'ऐ हमारे रब, तूने हमारे पास कोई रसूल क्यों न भेजा कि इससे पहले कि हम अपमानित और रुसवा होते, तेरी आयतों का अनुपालन करने लगते?'

English Sahih:

And if We had destroyed them with a punishment before him, they would have said, "Our Lord, why did You not send to us a messenger so we could have followed Your verses [i.e., teachings] before we were humiliated and disgraced?" ([20] Taha : 134)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर हम उनको इस रसूल से पहले अज़ाब से हलाक कर डालते तो ज़रूर कहते कि ऐ हमारे पालने वाले तूने हमारे पास (अपना) रसूल क्यों न भेजा तो हम अपने ज़लील व रूसवा होने से पहले तेरी आयतों की पैरवी ज़रूर करते