وَأْمُرْ اَهْلَكَ بِالصَّلٰوةِ وَاصْطَبِرْ عَلَيْهَاۗ لَا نَسْـَٔلُكَ رِزْقًاۗ نَحْنُ نَرْزُقُكَۗ وَالْعَاقِبَةُ لِلتَّقْوٰى ( طه: ١٣٢ )
And enjoin
وَأْمُرْ
और हुक्म दीजिए
(on) your family
أَهْلَكَ
अपने घर वालों को
the prayer
بِٱلصَّلَوٰةِ
नमाज़ का
and be steadfast
وَٱصْطَبِرْ
और क़ायम रहिए
therein
عَلَيْهَاۖ
इस पर
Not
لَا
नहीं हम सवाल करते आपसे
We ask you
نَسْـَٔلُكَ
नहीं हम सवाल करते आपसे
(for) provision;
رِزْقًاۖ
किसी रिज़्क़ का
We
نَّحْنُ
हम
provide (for) you
نَرْزُقُكَۗ
हम रिज़्क़ देते है आप को
and the outcome
وَٱلْعَٰقِبَةُ
और (अच्छा) अंजाम
(is) for the righteous[ness]
لِلتَّقْوَىٰ
तक़वा वालों के लिए है
Wamur ahlaka bialssalati waistabir 'alayha la nasaluka rizqan nahnu narzuquka waal'aqibatu lilttaqwa (Ṭāʾ Hāʾ 20:132)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और अपने लोगों को नमाज़ का आदेश करो और स्वयं भी उसपर जमे रहो। हम तुमसे कोई रोज़ी नहीं माँगते। रोज़ी हम ही तुम्हें देते है, और अच्छा परिणाम तो धर्मपरायणता ही के लिए निश्चित है
English Sahih:
And enjoin prayer upon your family [and people] and be steadfast therein. We ask you not for provision; We provide for you, and the [best] outcome is for [those of] righteousness. ([20] Taha : 132)