وَمَنْ يَّعْمَلْ مِنَ الصّٰلِحٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا يَخٰفُ ظُلْمًا وَّلَا هَضْمًا ( طه: ١١٢ )
But (he) who
وَمَن
औ जो कोई
does
يَعْمَلْ
अमल करेगा
of
مِنَ
नेकियों में से
the righteous deeds
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेकियों में से
while he
وَهُوَ
जबकि वो
(is) a believer
مُؤْمِنٌ
मोमिन हो
then not
فَلَا
तो ना
he will fear
يَخَافُ
वो डरेगा
injustice
ظُلْمًا
ज़ुल्म से
and not
وَلَا
और ना
deprivation
هَضْمًا
किसी कमी/नुक़सान से
Waman ya'mal mina alssalihati wahuwa muminun fala yakhafu thulman wala hadman (Ṭāʾ Hāʾ 20:112)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु जो कोई अच्छे कर्म करे और हो वह मोमिन, तो उसे न तो किसी ज़ुल्म का भय होगा और न हक़ मारे जाने का
English Sahih:
But he who does of righteous deeds while he is a believer – he will neither fear injustice nor deprivation. ([20] Taha : 112)