وَاِذْ اَخَذْنَا مِيْثَاقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ الطُّوْرَۗ خُذُوْا مَآ اٰتَيْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاسْمَعُوْا ۗ قَالُوْا سَمِعْنَا وَعَصَيْنَا وَاُشْرِبُوْا فِيْ قُلُوْبِهِمُ الْعِجْلَ بِكُفْرِهِمْ ۗ قُلْ بِئْسَمَا يَأْمُرُكُمْ بِهٖٓ اِيْمَانُكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ( البقرة: ٩٣ )
Waith akhathna meethaqakum warafa'na fawqakumu alttoora khuthoo ma ataynakum biquwwatin waisma'oo qaloo sami'na wa'asayna waoshriboo fee quloobihimu al'ijla bikufrihim qul bisama yamurukum bihi eemanukum in kuntum mumineena (al-Baq̈arah 2:93)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'यदि अल्लाह के निकट आख़िरत का घर सारे इनसानों को छोड़कर केवल तुम्हारे ही लिए है, फिर तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम सच्चे हो।'
English Sahih:
And [recall] when We took your covenant and raised over you the mount, [saying], "Take what We have given you with determination and listen." They said [instead], "We hear and disobey." And their hearts absorbed [the worship of] the calf because of their disbelief. Say, "How wretched is that which your faith enjoins upon you, if you should be believers." ([2] Al-Baqarah : 93)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुमसे अहद लिया और (क़ोहे) तूर को (तुम्हारी उदूले हुक्मी से) तुम्हारे सर पर लटकाया और (हमने कहा कि ये किताब तौरेत) जो हमने दी है मज़बूती से लिए रहो और (जो कुछ उसमें है) सुनो तो कहने लगे सुना तो (सही लेकिन) हम इसको मानते नहीं और उनकी बेईमानी की वजह से (गोया) बछड़े की उलफ़त घोल के उनके दिलों में पिला दी गई (ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ईमानदार थे तो तुमको तुम्हारा ईमान क्या ही बुरा हुक्म करता था