وَاِذَا قِيْلَ لَهُمْ اٰمِنُوْا بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ قَالُوْا نُؤْمِنُ بِمَآ اُنْزِلَ عَلَيْنَا وَيَكْفُرُوْنَ بِمَا وَرَاۤءَهٗ وَهُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَهُمْ ۗ قُلْ فَلِمَ تَقْتُلُوْنَ اَنْۢبِيَاۤءَ اللّٰهِ مِنْ قَبْلُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ( البقرة: ٩١ )
Waitha qeela lahum aminoo bima anzala Allahu qaloo numinu bima onzila 'alayna wayakfuroona bima waraahu wahuwa alhaqqu musaddiqan lima ma'ahum qul falima taqtuloona anbiyaa Allahi min qablu in kuntum mumineena (al-Baq̈arah 2:91)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जब उनसे कहा जाता है, 'अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उस पर ईमान लाओ', तो कहते है, 'हम तो उसपर ईमान रखते है जो हम पर उतरा है,' और उसे मानने से इनकार करते हैं जो उसके पीछे है, जबकि वही सत्य है, उसकी पुष्टि करता है जो उसके पास है। कहो, 'अच्छा तो इससे पहले अल्लाह के पैग़म्बरों की हत्या क्यों करते रहे हो, यदि तुम ईमानवाले हो?'
English Sahih:
And when it is said to them, "Believe in what Allah has revealed," they say, "We believe [only] in what was revealed to us." And they disbelieve in what came after it, while it is the truth confirming that which is with them. Say, "Then why did you kill the prophets of Allah before, if you are [indeed] believers?" ([2] Al-Baqarah : 91)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब उनसे कहा गया कि (जो क़ुरान) खुदा ने नाज़िल किया है उस पर ईमान लाओ तो कहने लगे कि हम तो उसी किताब (तौरेत) पर ईमान लाए हैं जो हम पर नाज़िल की गई थी और उस किताब (कुरान) को जो उसके बाद आई है नहीं मानते हैं हालाँकि वह (क़ुरान) हक़ है और उस किताब (तौरेत) की जो उनके पास है तसदीक़ भी करती है मगर उस किताब कुरान का जो उसके बाद आई है इन्कार करते हैं (ऐ रसूल) उनसे ये तो पूछो कि तुम (तुम्हारे बुर्जुग़) अगर ईमानदार थे तो फिर क्यों खुदा के पैग़म्बरों का साबिक़ क़त्ल करते थे