بِئْسَمَا اشْتَرَوْا بِهٖٓ اَنْفُسَهُمْ اَنْ يَّكْفُرُوْا بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ بَغْيًا اَنْ يُّنَزِّلَ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۚ فَبَاۤءُوْ بِغَضَبٍ عَلٰى غَضَبٍۗ وَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ( البقرة: ٩٠ )
Bisama ishtaraw bihi anfusahum an yakfuroo bima anzala Allahu baghyan an yunazzila Allahu min fadlihi 'ala man yashao min 'ibadihi fabaoo bighadabin 'ala ghadabin walilkafireena 'athabun muheenun (al-Baq̈arah 2:90)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है
English Sahih:
How wretched is that for which they sold themselves – that they would disbelieve in what Allah has revealed through [their] outrage that Allah would send down His favor upon whom He wills from among His servants. So they returned having [earned] wrath upon wrath. And for the disbelievers is a humiliating punishment. ([2] Al-Baqarah : 90)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
क्या ही बुरा है वह काम जिसके मुक़ाबले में (इतनी बात पर) वह लोग अपनी जानें बेच बैठे हैं कि खुदा अपने बन्दों से जिस पर चाहे अपनी इनायत से किताब नाज़िल किया करे इस रश्क से जो कुछ खुदा ने नाज़िल किया है सबका इन्कार कर बैठे पस उन पर ग़ज़ब पर ग़ज़ब टूट पड़ा और काफ़िरों के लिए (बड़ी) रूसवाई का अज़ाब है