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يُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا ۚ وَمَا يَخْدَعُوْنَ اِلَّآ اَنْفُسَهُمْ وَمَا يَشْعُرُوْنَۗ  ( البقرة: ٩ )

They seek to deceive
يُخَٰدِعُونَ
वो धोखा देते हैं
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
and those who
وَٱلَّذِينَ
और उनको जो
believe[d]
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
and not
وَمَا
और नहीं
they deceive
يَخْدَعُونَ
वो धोखा देते
except
إِلَّآ
मगर
themselves
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों को
and not
وَمَا
और नहीं
they realize (it)
يَشْعُرُونَ
वो शऊर रखते

Yukhadi'oona Allaha waallatheena amanoo wama yakhda'oona illa anfusahum wama yash'uroona (al-Baq̈arah 2:9)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने-आपको ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते

English Sahih:

They [think to] deceive Allah and those who believe, but they deceive not except themselves and perceive [it] not. ([2] Al-Baqarah : 9)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

खुदा को और उन लोगों को जो ईमान लाए धोखा देते हैं हालाँकि वह अपने आपको धोखा देते हैं और कुछ शऊर नहीं रखते हैं