وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ وَقَفَّيْنَا مِنْۢ بَعْدِهٖ بِالرُّسُلِ ۖ وَاٰتَيْنَا عِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ الْبَيِّنٰتِ وَاَيَّدْنٰهُ بِرُوْحِ الْقُدُسِۗ اَفَكُلَّمَا جَاۤءَكُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰىٓ اَنْفُسُكُمُ اسْتَكْبَرْتُمْ ۚ فَفَرِيْقًا كَذَّبْتُمْ وَفَرِيْقًا تَقْتُلُوْنَ ( البقرة: ٨٧ )
Walaqad atayna moosa alkitaba waqaffayna min ba'dihi bialrrusuli waatayna 'eesa ibna maryama albayyinati waayyadnahu biroohi alqudusi afakullama jaakum rasoolun bima la tahwa anfusukumu istakbartum fafareeqan kaththabtum wafareeqan taqtuloona (al-Baq̈arah 2:87)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और हमने मूसा को किताब दी थी, और उसके पश्चात आगे-पीछे निरन्तर रसूल भेजते रहे; और मरयम के बेटे ईसा को खुली-खुली निशानियाँ प्रदान की और पवित्र-आत्मा के द्वारा उसे शक्ति प्रदान की; तो यही तो हुआ कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे पास वह कुछ लेकर आया जो तुम्हारे जी को पसन्द न था, तो तुम अकड़ बैठे, तो एक गिरोह को तो तुमने झुठलाया और एक गिरोह को क़त्ल करते हो?
English Sahih:
And We did certainly give Moses the Scripture [i.e., the Torah] and followed up after him with messengers. And We gave Jesus, the son of Mary, clear proofs and supported him with the Pure Spirit [i.e., the angel Gabriel]. But is it [not] that every time a messenger came to you, [O Children of Israel], with what your souls did not desire, you were arrogant? And a party [of messengers] you denied and another party you killed. ([2] Al-Baqarah : 87)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ये हक़ीक़ी बात है कि हमने मूसा को किताब (तौरेत) दी और उनके बाद बहुत से पैग़म्बरों को उनके क़दम ब क़दम ले चलें और मरियम के बेटे ईसा को (भी बहुत से) वाजेए व रौशन मौजिजे दिए और पाक रूह जिबरील के ज़रिये से उनकी मदद की क्या तुम उस क़दर बददिमाग़ हो गए हो कि जब कोई पैग़म्बर तुम्हारे पास तुम्हारी ख्वाहिशे नफ़सानी के ख़िलाफ कोई हुक्म लेकर आया तो तुम अकड़ बैठे फिर तुमने बाज़ पैग़म्बरों को तो झुठलाया और बाज़ को जान से मार डाला