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اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اشْتَرَوُا الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا بِالْاٰخِرَةِ ۖ فَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ࣖ  ( البقرة: ٨٦ )

Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
(are) the ones who
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
bought
ٱشْتَرَوُا۟
ख़रीद ली
the life
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
for the Hereafter;
بِٱلْءَاخِرَةِۖ
बदले आख़िरत के
so not
فَلَا
तो ना
will be lightened
يُخَفَّفُ
हल्का किया जाएगा
for them
عَنْهُمُ
उनसे
the punishment
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
and not
وَلَا
और ना
they
هُمْ
वो
will be helped
يُنصَرُونَ
वो मदद किए जाऐंगे

Olaika allatheena ishtarawoo alhayata alddunya bialakhirati fala yukhaffafu 'anhumu al'athabu wala hum yunsaroona (al-Baq̈arah 2:86)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यही वे लोग है जो आख़िरात के बदले सांसारिक जीवन के ख़रीदार हुए, तो न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें कोई सहायता पहुँच सकेगी

English Sahih:

Those are the ones who have bought the life of this world [in exchange] for the Hereafter, so the punishment will not be lightened for them, nor will they be aided. ([2] Al-Baqarah : 86)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

यही वह लोग हैं जिन्होंने आख़ेरत के बदले दुनिया की ज़िन्दगी ख़रीद पस न उनके अज़ाब ही में तख्फ़ीफ़ (कमी) की जाएगी और न वह लोग किसी तरह की मदद दिए जाएँगे