ثُمَّ قَسَتْ قُلُوْبُكُمْ مِّنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ فَهِيَ كَالْحِجَارَةِ اَوْ اَشَدُّ قَسْوَةً ۗ وَاِنَّ مِنَ الْحِجَارَةِ لَمَا يَتَفَجَّرُ مِنْهُ الْاَنْهٰرُ ۗ وَاِنَّ مِنْهَا لَمَا يَشَّقَّقُ فَيَخْرُجُ مِنْهُ الْمَاۤءُ ۗوَاِنَّ مِنْهَا لَمَا يَهْبِطُ مِنْ خَشْيَةِ اللّٰهِ ۗوَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ( البقرة: ٧٤ )
Thumma qasat quloobukum min ba'di thalika fahiya kaalhijarati aw ashaddu qaswatan wainna mina alhijarati lama yatafajjaru minhu alanharu wainna minha lama yashshaqqaqu fayakhruju minhu almao wainna minha lama yahbitu min khashyati Allahi wama Allahu bighafilin 'amma ta'maloona (al-Baq̈arah 2:74)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर इसके पश्चात भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए, तो वे पत्थरों की तरह हो गए बल्कि उनसे भी अधिक कठोर; क्योंकि कुछ पत्थर ऐसे भी होते है जिनसे नहरें फूट निकलती है, और कुछ ऐसे भी होते है कि फट जाते है तो उनमें से पानी निकलने लगता है, और उनमें से कुछ ऐसे भी होते है जो अल्लाह के भय से गिर जाते है। और अल्लाह, जो कुछ तुम कर रहे हो, उससे बेखबर नहीं है
English Sahih:
Then your hearts became hardened after that, being like stones or even harder. For indeed, there are stones from which rivers burst forth, and there are some of them that split open and water comes out, and there are some of them that fall down for fear of Allah. And Allah is not unaware of what you do. ([2] Al-Baqarah : 74)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ताकि तुम समझो फिर उसके बाद तुम्हारे दिल सख्त हो गये पस वह मिसल पत्थर के (सख्त) थे या उससे भी ज्यादा करख्त क्योंकि पत्थरों में बाज़ तो ऐसे होते हैं कि उनसे नहरें जारी हो जाती हैं और बाज़ ऐसे होते हैं कि उनमें दरार पड़ जाती है और उनमें से पानी निकल पड़ता है और बाज़ पत्थर तो ऐसे होते हैं कि खुदा के ख़ौफ से गिर पड़ते हैं और जो कुछ तुम कर रहे हो उससे खुदा ग़ाफिल नहीं है