وَاِذْ نَجَّيْنٰكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ يَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْۤءَ الْعَذَابِ يُذَبِّحُوْنَ اَبْنَاۤءَكُمْ وَيَسْتَحْيُوْنَ نِسَاۤءَكُمْ ۗ وَفِيْ ذٰلِكُمْ بَلَاۤءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِيْمٌ ( البقرة: ٤٩ )
Waith najjaynakum min ali fir'awna yasoomoonakum sooa al'athabi yuthabbihoona abnaakum wayastahyoona nisaakum wafee thalikum balaon min rabbikum 'atheemun (al-Baq̈arah 2:49)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जब हमने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया जो तुम्हें अत्यन्त बुरी यातना देते थे, तुम्हारे बेटों को मार डालते थे और तुम्हारी स्त्रियों को जीवित रहने देते थे; और इसमं तुम्हारे रब की ओर से बड़ी परीक्षा थी
English Sahih:
And [recall] when We saved you [i.e., your forefathers] from the people of Pharaoh, who afflicted you with the worst torment, slaughtering your [newborn] sons and keeping your females alive. And in that was a great trial from your Lord. ([2] Al-Baqarah : 49)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (उस वक्त क़ो याद करो) जब हमने तुम्हें (तुम्हारे बुर्ज़गो को) फिरऔन (के पन्जे) से छुड़ाया जो तुम्हें बड़े-बड़े दुख दे के सताते थे तुम्हारे लड़कों पर छुरी फेरते थे और तुम्हारी औरतों को (अपनी ख़िदमत के लिए) ज़िन्दा रहने देते थे और उसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (तुम्हारे सब्र की) सख्त आज़माइश थी