الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِالْغَيْبِ وَيُقِيْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ ۙ ( البقرة: ٣ )
Those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
believe
يُؤْمِنُونَ
ईमान लाते हैं
in the unseen
بِٱلْغَيْبِ
ग़ैब पर
and establish
وَيُقِيمُونَ
और वो क़ायम करते हैं
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
and out of what
وَمِمَّا
और उससे जो
We have provided them
رَزَقْنَٰهُمْ
रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
they spend
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करते हैं
Allatheena yuminoona bialghaybi wayuqeemoona alssalata wamimma razaqnahum yunfiqoona (al-Baq̈arah 2:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो अनदेखे ईमान लाते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया हैं उसमें से कुछ खर्च करते हैं;
English Sahih:
Who believe in the unseen, establish prayer, and spend out of what We have provided for them, ([2] Al-Baqarah : 3)