لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ ۗ وَاِنْ تُبْدُوْا مَا فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ اَوْ تُخْفُوْهُ يُحَاسِبْكُمْ بِهِ اللّٰهُ ۗ فَيَغْفِرُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيُعَذِّبُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ( البقرة: ٢٨٤ )
Lillahi ma fee alssamawati wama fee alardi wain tubdoo ma fee anfusikum aw tukhfoohu yuhasibkum bihi Allahu fayaghfiru liman yashao wayu'aththibu man yashao waAllahu 'ala kulli shayin qadeerun (al-Baq̈arah 2:284)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और जो कुछ तुम्हारे मन है, यदि तुम उसे व्यक्त करो या छिपाओं, अल्लाह तुमसे उसका हिसाब लेगा। फिर वह जिसे चाहे क्षमा कर दे और जिसे चाहे यातना दे। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है
English Sahih:
To Allah belongs whatever is in the heavens and whatever is in the earth. Whether you show what is within yourselves or conceal it, Allah will bring you to account for it. Then He will forgive whom He wills and punish whom He wills, and Allah is over all things competent. ([2] Al-Baqarah : 284)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़) सब कुछ खुदा ही का है और जो कुछ तुम्हारे दिलों में हे ख्वाह तुम उसको ज़ाहिर करो या उसे छिपाओ ख़ुदा तुमसे उसका हिसाब लेगा, फिर जिस को चाहे बख्श दे और जिस पर चाहे अज़ाब करे, और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है