يَمْحَقُ اللّٰهُ الرِّبٰوا وَيُرْبِى الصَّدَقٰتِ ۗ وَاللّٰهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ كَفَّارٍ اَثِيْمٍ ( البقرة: ٢٧٦ )
Destroys
يَمْحَقُ
मिटाता है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
the usury
ٱلرِّبَوٰا۟
सूद को
and (gives) increase
وَيُرْبِى
और वो बढ़ाता है
(for) the charities
ٱلصَّدَقَٰتِۗ
सदक़ात को
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
love
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
every
كُلَّ
हर
ungrateful
كَفَّارٍ
सख़्त नाशुक्रे
sinner
أَثِيمٍ
बहुत गुनाह गार को
Yamhaqu Allahu alrriba wayurbee alssadaqati waAllahu la yuhibbu kulla kaffarin atheemin (al-Baq̈arah 2:276)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह ब्याज को घटाता और मिटाता है और सदक़ों को बढ़ाता है। और अल्लाह किसी अकृतज्ञ, हक़ मारनेवाले को पसन्द नहीं करता
English Sahih:
Allah destroys interest and gives increase for charities. And Allah does not like every sinning disbeliever. ([2] Al-Baqarah : 276)