اِنْ تُبْدُوا الصَّدَقٰتِ فَنِعِمَّا هِيَۚ وَاِنْ تُخْفُوْهَا وَتُؤْتُوْهَا الْفُقَرَاۤءَ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ ۗ وَيُكَفِّرُ عَنْكُمْ مِّنْ سَيِّاٰتِكُمْ ۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ( البقرة: ٢٧١ )
In tubdoo alssadaqati fani'imma hiya wain tukhfooha watutooha alfuqaraa fahuwa khayrun lakum wayukaffiru 'ankum min sayyiatikum waAllahu bima ta'maloona khabeerun (al-Baq̈arah 2:271)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि तुम खुले रूप मे सदक़े दो तो यह भी अच्छा है और यदि उनको छिपाकर मुहताजों को दो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। और यह तुम्हारे कितने ही गुनाहों को मिटा देगा। और अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है, जो कुछ तुम करते हो
English Sahih:
If you disclose your charitable expenditures, they are good; but if you conceal them and give them to the poor, it is better for you, and He will remove from you some of your misdeeds [thereby]. And Allah, of what you do, is [fully] Aware. ([2] Al-Baqarah : 271)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अगर ख़ैरात को ज़ाहिर में दो तो यह (ज़ाहिर करके देना) भी अच्छा है और अगर उसको छिपाओ और हाजतमन्दों को दो तो ये छिपा कर देना तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ऐसे देने को ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों का कफ्फ़ारा कर देगा और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है