وَمَآ اَنْفَقْتُمْ مِّنْ نَّفَقَةٍ اَوْ نَذَرْتُمْ مِّنْ نَّذْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُهٗ ۗ وَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ( البقرة: ٢٧٠ )
And whatever
وَمَآ
और जो
you spend
أَنفَقْتُم
ख़र्च किया तुमने
(out) of
مِّن
कोई ख़र्च
(your) expenditures
نَّفَقَةٍ
कोई ख़र्च
or
أَوْ
या
you vow
نَذَرْتُم
नज़र मानी तुमने
of
مِّن
कोई नज़र
vow(s)
نَّذْرٍ
कोई नज़र
then indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
knows it
يَعْلَمُهُۥۗ
जानता है उसे
and not
وَمَا
और नहीं
for the wrongdoers
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों के लिए
any
مِنْ
मददगारों में से कोई
helpers
أَنصَارٍ
मददगारों में से कोई
Wama anfaqtum min nafaqatin aw nathartum min nathrin fainna Allaha ya'lamuhu wama lilththalimeena min ansarin (al-Baq̈arah 2:270)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुमने जो कुछ भी ख़र्च किया और जो कुछ भी नज़र (मन्नत) की हो, निस्सन्देह अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा
English Sahih:
And whatever you spend of expenditures or make of vows – indeed, Allah knows of it. And for the wrongdoers there are no helpers. ([2] Al-Baqarah : 270)