۞ قَوْلٌ مَّعْرُوْفٌ وَّمَغْفِرَةٌ خَيْرٌ مِّنْ صَدَقَةٍ يَّتْبَعُهَآ اَذًى ۗ وَاللّٰهُ غَنِيٌّ حَلِيْمٌ ( البقرة: ٢٦٣ )
A word
قَوْلٌ
बात
kind
مَّعْرُوفٌ
अच्छी (कहना)
and (seeking) forgiveness
وَمَغْفِرَةٌ
और माफ़ करना
(are) better
خَيْرٌ
बेहतर है
than
مِّن
उस सदक़े से
a charity
صَدَقَةٍ
उस सदक़े से
followed [it]
يَتْبَعُهَآ
पीछे आए जिसके
(by) hurt
أَذًىۗ
कोई अज़ियत
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) All-Sufficient
غَنِىٌّ
बड़ा बेनियाज़ है
All-Forbearing
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है
Qawlun ma'roofun wamaghfiratun khayrun min sadaqatin yatba'uha athan waAllahu ghaniyyun haleemun (al-Baq̈arah 2:263)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
एक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्कृत निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है
English Sahih:
Kind speech and forgiveness are better than charity followed by injury. And Allah is Free of need and Forbearing. ([2] Al-Baqarah : 263)