۞ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَسْتَحْيٖٓ اَنْ يَّضْرِبَ مَثَلًا مَّا بَعُوْضَةً فَمَا فَوْقَهَا ۗ فَاَمَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فَيَعْلَمُوْنَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۚ وَاَمَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَيَقُوْلُوْنَ مَاذَآ اَرَادَ اللّٰهُ بِهٰذَا مَثَلًا ۘ يُضِلُّ بِهٖ كَثِيْرًا وَّيَهْدِيْ بِهٖ كَثِيْرًا ۗ وَمَا يُضِلُّ بِهٖٓ اِلَّا الْفٰسِقِيْنَۙ ( البقرة: ٢٦ )
Inna Allaha la yastahyee an yadriba mathalan ma ba'oodatan fama fawqaha faamma allatheena amanoo faya'lamoona annahu alhaqqu min rabbihim waamma allatheena kafaroo fayaqooloona matha arada Allahu bihatha mathalan yudillu bihi katheeran wayahdee bihi katheeran wama yudillu bihi illa alfasiqeena (al-Baq̈arah 2:26)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निस्संदेह अल्लाह नहीं शरमाता कि वह कोई मिसाल पेश करे चाहे वह हो मच्छर की, बल्कि उससे भी बढ़कर किसी तुच्छ चीज़ की। फिर जो ईमान लाए है वे तो जानते है कि वह उनके रब की ओर से सत्य हैं; रहे इनकार करनेवाले तो वे कहते है, 'इस मिसाल से अल्लाह का अभिप्राय क्या है?' इससे वह बहुतों को भटकने देता है और बहुतों को सीधा मार्ग दिखा देता है, मगर इससे वह केवल अवज्ञाकारियों ही को भटकने देता है
English Sahih:
Indeed, Allah is not timid to present an example – that of a mosquito or what is smaller than it. And those who have believed know that it is the truth from their Lord. But as for those who disbelieve, they say, "What did Allah intend by this as an example?" He misleads many thereby and guides many thereby. And He misleads not except the defiantly disobedient, ([2] Al-Baqarah : 26)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
बेशक खुदा मच्छर या उससे भी बढ़कर (हक़ीर चीज़) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं झेंपता पस जो लोग ईमान ला चुके हैं वह तो ये यक़ीन जानते हैं कि ये (मिसाल) बिल्कुल ठीक है और ये परवरदिगार की तरफ़ से है (अब रहे) वह लोग जो काफ़िर है पस वह बोल उठते हैं कि खुदा का उस मिसाल से क्या मतलब है, ऐसी मिसाल से ख़ुदा बहुतेरों की हिदायत करता है मगर गुमराही में छोड़ता भी है तो ऐसे बदकारों को