اَوْ كَالَّذِيْ مَرَّ عَلٰى قَرْيَةٍ وَّهِيَ خَاوِيَةٌ عَلٰى عُرُوْشِهَاۚ قَالَ اَنّٰى يُحْيٖ هٰذِهِ اللّٰهُ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ فَاَمَاتَهُ اللّٰهُ مِائَةَ عَامٍ ثُمَّ بَعَثَهٗ ۗ قَالَ كَمْ لَبِثْتَ ۗ قَالَ لَبِثْتُ يَوْمًا اَوْ بَعْضَ يَوْمٍۗ قَالَ بَلْ لَّبِثْتَ مِائَةَ عَامٍ فَانْظُرْ اِلٰى طَعَامِكَ وَشَرَابِكَ لَمْ يَتَسَنَّهْ ۚ وَانْظُرْ اِلٰى حِمَارِكَۗ وَلِنَجْعَلَكَ اٰيَةً لِّلنَّاسِ وَانْظُرْ اِلَى الْعِظَامِ كَيْفَ نُنْشِزُهَا ثُمَّ نَكْسُوْهَا لَحْمًا ۗ فَلَمَّا تَبَيَّنَ لَهٗ ۙ قَالَ اَعْلَمُ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ( البقرة: ٢٥٩ )
Aw kaallathee marra 'ala qaryatin wahiya khawiyatun 'ala 'urooshiha qala anna yuhyee hathihi Allahu ba'da mawtiha faamatahu Allahu miata 'amin thumma ba'athahu qala kam labithta qala labithtu yawman aw ba'da yawmin qala bal labithta miata 'amin faonthur ila ta'amika washarabika lam yatasannah waonthur ila himarika walinaj'alaka ayatan lilnnasi waonthur ila al'ithami kayfa nunshizuha thumma naksooha lahman falamma tabayyana lahu qala a'lamu anna Allaha 'ala kulli shayin qadeerun (al-Baq̈arah 2:259)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
या उस जैसे (व्यक्ति) को नहीं देखा, जिसका एक ऐसी बस्ती पर से गुज़र हुआ, जो अपनी छतों के बल गिरी हुई थी। उसने कहा, 'अल्लाह इसके विनष्ट हो जाने के पश्चात इसे किस प्रकार जीवन प्रदान करेगा?' तो अल्लाह ने उसे सौ वर्ष की मृत्यु दे दी, फिर उसे उठा खड़ा किया। कहा, 'तू कितनी अवधि तक इस अवस्था नें रहा।' उसने कहा, 'मैं एक या दिन का कुछ हिस्सा रहा।' कहा, 'नहीं, बल्कि तू सौ वर्ष रहा है। अब अपने खाने और पीने की चीज़ों को देख ले, उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं, और अपने गधे को भी देख, और यह इसलिए कह रहे है ताकि हम तुझे लोगों के लिए एक निशानी बना दें और हड्डियों को देख कि किस प्रकार हम उन्हें उभारते है, फिर, उनपर माँस चढ़ाते है।' तो जब वास्तविकता उस पर प्रकट हो गई तो वह पुकार उठा, ' मैं जानता हूँ कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।'
English Sahih:
Or [consider such an example] as the one who passed by a township which had fallen into ruin. He said, "How will Allah bring this to life after its death?" So Allah caused him to die for a hundred years; then He revived him. He said, "How long have you remained?" He [the man] said, "I have remained a day or part of a day." He said, "Rather, you have remained one hundred years. Look at your food and your drink; it has not changed with time. And look at your donkey; and We will make you a sign for the people. And look at the bones [of this donkey] – how We raise them and then We cover them with flesh." And when it became clear to him, he said, "I know that Allah is over all things competent." ([2] Al-Baqarah : 259)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल तुमने) मसलन उस (बन्दे के हाल पर भी नज़र की जो एक गॉव पर से होकर गुज़रा और वो ऐसा उजड़ा था कि अपनी छतों पर से ढह के गिर पड़ा था ये देखकर वह बन्दा (कहने लगा) अल्लाह अब इस गॉव को ऐसी वीरानी के बाद क्योंकर आबाद करेगा इस पर ख़ुदा ने उसको (मार डाला) सौ बरस तक मुर्दा रखा फिर उसको जिला उठाया (तब) पूछा तुम कितनी देर पड़े रहे अर्ज क़ी एक दिन पड़ा रहा एक दिन से भी कम फ़रमाया नहीं तुम (इसी हालत में) सौ बरस पड़े रहे अब ज़रा अपने खाने पीने (की चीज़ों) को देखो कि बुसा तक नहीं और ज़रा अपने गधे (सवारी) को तो देखो कि उसकी हड्डियाँ ढेर पड़ी हैं और सब इस वास्ते किया है ताकि लोगों के लिये तुम्हें क़ुदरत का नमूना बनाये और अच्छा अब (इस गधे की) हड्डियों की तरफ़ नज़र करो कि हम क्योंकर जोड़ जाड़ कर ढाँचा बनाते हैं फिर उनपर गोश्त चढ़ाते हैं पस जब ये उनपर ज़ाहिर हुआ तो बेसाख्ता बोल उठे कि (अब) मैं ये यक़ीने कामिल जानता हूं कि ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है