فَلَمَّا فَصَلَ طَالُوْتُ بِالْجُنُوْدِ قَالَ اِنَّ اللّٰهَ مُبْتَلِيْكُمْ بِنَهَرٍۚ فَمَنْ شَرِبَ مِنْهُ فَلَيْسَ مِنِّيْۚ وَمَنْ لَّمْ يَطْعَمْهُ فَاِنَّهٗ مِنِّيْٓ اِلَّا مَنِ اغْتَرَفَ غُرْفَةً ۢبِيَدِهٖ ۚ فَشَرِبُوْا مِنْهُ اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْهُمْ ۗ فَلَمَّا جَاوَزَهٗ هُوَ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗۙ قَالُوْا لَا طَاقَةَ لَنَا الْيَوْمَ بِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ ۗ قَالَ الَّذِيْنَ يَظُنُّوْنَ اَنَّهُمْ مُّلٰقُوا اللّٰهِ ۙ كَمْ مِّنْ فِئَةٍ قَلِيْلَةٍ غَلَبَتْ فِئَةً كَثِيْرَةً ۢبِاِذْنِ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِيْنَ ( البقرة: ٢٤٩ )
Falamma fasala talootu bialjunoodi qala inna Allaha mubtaleekum binaharin faman shariba minhu falaysa minnee waman lam yat'amhu fainnahu minnee illa mani ightarafa ghurfatan biyadihi fashariboo minhu illa qaleelan minhum falamma jawazahu huwa waallatheena amanoo ma'ahu qaloo la taqata lana alyawma bijaloota wajunoodihi qala allatheena yathunnoona annahum mulaqoo Allahi kam min fiatin qaleelatin ghalabat fiatan katheeratan biithni Allahi waAllahu ma'a alssabireena (al-Baq̈arah 2:249)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर तब तालूत सेनाएँ लेकर चला तो उनने कहा, 'अल्लाह निश्चित रूप से एक नदी द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसको नहीं चखा, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से एक चुल्लू भर ले ले।' फिर उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सभी ने उसका पानी पी लिया, फिर जब तालूत और ईमानवाले जो उसके साथ थे नदी पार कर गए तो कहने लगे, 'आज हममें जालूत और उसकी सेनाओं का मुक़ाबला करने की शक्ति नहीं हैं।' इस पर लोगों ने, जो समझते थे कि उन्हें अल्लाह से मिलना है, कहा, 'कितनी ही बार एक छोटी-सी टुकड़ी ने अल्लाह की अनुज्ञा से एक बड़े गिरोह पर विजय पाई है। अल्लाह तो जमनेवालो के साथ है।'
English Sahih:
And when Saul went forth with the soldiers, he said, "Indeed, Allah will be testing you with a river. So whoever drinks from it is not of me, and whoever does not taste it is indeed of me, excepting one who takes [from it] in the hollow of his hand." But they drank from it, except a [very] few of them. Then when he had crossed it along with those who believed with him, they said, "There is no power for us today against Goliath and his soldiers." But those who were certain that they would meet Allah said, "How many a small company has overcome a large company by permission of Allah. And Allah is with the patient." ([2] Al-Baqarah : 249)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिर जब तालूत लशकर समैत (शहर ऐलिया से) रवाना हुआ तो अपने साथियों से कहा देखो आगे एक नहर मिलेगी इस से यक़ीनन ख़ुदा तुम्हारे सब्र की आज़माइश करेगा पस जो शख्स उस का पानी पीयेगा मुझे (कुछ वास्ता) नही रखता और जो उस को नही चखेगा वह बेशक मुझ से होगा मगर हाँ जो अपने हाथ से एक (आधा चुल्लू भर के पी) ले तो कुछ हर्ज नही पस उन लोगों ने न माना और चन्द आदमियों के सिवा सब ने उस का पानी पिया ख़ैर जब तालूत और जो मोमिनीन उन के साथ थे नहर से पास हो गए तो (ख़ास मोमिनों के सिवा) सब के सब कहने लगे कि हम में तो आज भी जालूत और उसकी फौज से लड़ने की सकत नहीं मगर वह लोग जिनको यक़ीन है कि एक दिन ख़ुदा को मुँह दिखाना है बेधड़क बोल उठे कि ऐसा बहुत हुआ कि ख़ुदा के हुक्म से छोटी जमाअत बड़ी जमाअत पर ग़ालिब आ गयी है और ख़ुदा सब्र करने वालों का साथी है