فَاِنْ خِفْتُمْ فَرِجَالًا اَوْ رُكْبَانًا ۚ فَاِذَآ اَمِنْتُمْ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَمَا عَلَّمَكُمْ مَّا لَمْ تَكُوْنُوْا تَعْلَمُوْنَ ( البقرة: ٢٣٩ )
And if
فَإِنْ
फिर अगर
you fear
خِفْتُمْ
ख़ौफ़ हो तुम्हें
then (pray) on foot
فَرِجَالًا
तो पैदल (पढ़ लो)
or
أَوْ
या
riding
رُكْبَانًاۖ
सवार होकर
Then when
فَإِذَآ
फिर जब
you are secure
أَمِنتُمْ
अमन में आ जाओ तुम
then remember
فَٱذْكُرُوا۟
तो याद करो
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
as
كَمَا
जैसा कि
He (has) taught you
عَلَّمَكُم
उसने सिखाया तुम्हें
what
مَّا
जो
not
لَمْ
नहीं
you were
تَكُونُوا۟
थे तुम
knowing
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
Fain khiftum farijalan aw rukbanan faitha amintum faothkuroo Allaha kama 'allamakum ma lam takoonoo ta'lamoona (al-Baq̈arah 2:239)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर यदि तुम्हें (शत्रु आदि का) भय हो, तो पैदल या सवार जिस तरह सम्भव हो नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसाकि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे
English Sahih:
And if you fear [an enemy, then pray] on foot or riding. But when you are secure, then remember Allah [in prayer], as He has taught you that which you did not [previously] know. ([2] Al-Baqarah : 239)