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حَافِظُوْا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَالصَّلٰوةِ الْوُسْطٰى وَقُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِيْنَ   ( البقرة: ٢٣٨ )

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حَٰفِظُوا۟
हिफ़ाज़त करो
[on]
عَلَى
सब नमाज़ों की
the prayers
ٱلصَّلَوَٰتِ
सब नमाज़ों की
and the prayer -
وَٱلصَّلَوٰةِ
और नमाज़
[the] middle
ٱلْوُسْطَىٰ
दर्मियानी की
and stand up
وَقُومُوا۟
और खड़े हो जाओ
for Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
devoutly obedient
قَٰنِتِينَ
फ़रमाबरदार बन कर

Hafithoo 'ala alssalawati waalssalati alwusta waqoomoo lillahi qaniteena (al-Baq̈arah 2:238)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

सदैव नमाज़ो की और अच्छी नमाज़ों की पाबन्दी करो, और अल्लाह के आगे पूरे विनीत और शान्तभाव से खड़े हुआ करो

English Sahih:

Maintain with care the [obligatory] prayers and [in particular] the middle [i.e., Asr] prayer and stand before Allah, devoutly obedient. ([2] Al-Baqarah : 238)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (मुसलमानों) तुम तमाम नमाज़ों की और ख़ुसूसन बीच वाली नमाज़ सुबह या ज़ोहर या अस्र की पाबन्दी करो और ख़ास ख़ुदा ही वास्ते नमाज़ में क़ुनूत पढ़ने वाले हो कर खड़े हो फिर अगर तुम ख़ौफ की हालत में हो