وَلَا تَجْعَلُوا اللّٰهَ عُرْضَةً لِّاَيْمَانِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْا وَتَتَّقُوْا وَتُصْلِحُوْا بَيْنَ النَّاسِۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ( البقرة: ٢٢٤ )
And (do) not
وَلَا
और ना
make
تَجْعَلُوا۟
तुम बनाओ
Allahs (name)
ٱللَّهَ
अल्लाह को
an excuse
عُرْضَةً
आड़
in your oaths
لِّأَيْمَٰنِكُمْ
अपनी क़समों के लिए
that
أَن
कि
you do good
تَبَرُّوا۟
तुम नेकी करोगे (ना)
and be righteous
وَتَتَّقُوا۟
और (ना) तुम तक़वा करोगे
and make peace
وَتُصْلِحُوا۟
और (ना) तुम सुलाह कराओगे
between
بَيْنَ
दर्मियान
[the] people
ٱلنَّاسِۗ
लोगों के
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) All-Hearing
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
All-Knowing
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
Wala taj'aloo Allaha 'urdatan liaymanikum an tabarroo watattaqoo watuslihoo bayna alnnasi waAllahu samee'un 'aleemun (al-Baq̈arah 2:224)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अपने नेक और धर्मपरायण होने और लोगों के मध्य सुधारक होने के सिलसिले में अपनी क़समों के द्वारा अल्लाह को आड़ और निशाना न बनाओ कि इन कामों को छोड़ दो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है
English Sahih:
And do not make [your oath by] Allah an excuse against being righteous and fearing Allah and making peace among people. And Allah is Hearing and Knowing. ([2] Al-Baqarah : 224)