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نِسَاۤؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ ۖ فَأْتُوْا حَرْثَكُمْ اَنّٰى شِئْتُمْ ۖ وَقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ ۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ مُّلٰقُوْهُ ۗ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ   ( البقرة: ٢٢٣ )

Your wives
نِسَآؤُكُمْ
औरतें तुम्हारी
(are) a tilth
حَرْثٌ
खेती हैं
for you
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
so come
فَأْتُوا۟
तो आओ
(to) your tilth
حَرْثَكُمْ
अपनी खेती में
when
أَنَّىٰ
जिस तरह
you wish
شِئْتُمْۖ
चाहो तुम
and send forth (good deeds)
وَقَدِّمُوا۟
और आगे भेजो
for yourselves
لِأَنفُسِكُمْۚ
अपने नफ़्सों के लिए
And be conscious
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
(of) Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
and know
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
that you
أَنَّكُم
बेशक तुम
(will) meet Him
مُّلَٰقُوهُۗ
मुलाक़ात करने वाले हो उससे
And give glad tidings
وَبَشِّرِ
और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
(to) the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों को

Nisaokum harthun lakum fatoo harthakum anna shitum waqaddimoo lianfusikum waittaqoo Allaha wai'lamoo annakum mulaqoohu wabashshiri almumineena (al-Baq̈arah 2:223)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम्हारी स्त्रियों तुम्हारी खेती है। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ और अपने लिए आगे भेजो; और अल्लाह से डरते रहो; भली-भाँति जान ले कि तुम्हें उससे मिलना है; और ईमान लानेवालों को शुभ-सूचना दे दो

English Sahih:

Your wives are a place of cultivation [i.e., sowing of seed] for you, so come to your place of cultivation however you wish and put forth [righteousness] for yourselves. And fear Allah and know that you will meet Him. And give good tidings to the believers. ([2] Al-Baqarah : 223)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो तुम अपनी खेती में जिस तरह चाहो आओ और अपनी आइन्दा की भलाई के वास्ते (आमाल साके) पेशगी भेजो और ख़ुदा से डरते रहो और ये भी समझ रखो कि एक दिन तुमको उसके सामने जाना है और ऐ रसूल ईमानदारों को नजात की ख़ुश ख़बरी दे दो