فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ ۗ وَيَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْيَتٰمٰىۗ قُلْ اِصْلَاحٌ لَّهُمْ خَيْرٌ ۗ وَاِنْ تُخَالِطُوْهُمْ فَاِخْوَانُكُمْ ۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ الْمُفْسِدَ مِنَ الْمُصْلِحِ ۗ وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَاَعْنَتَكُمْ اِنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ( البقرة: ٢٢٠ )
Fee alddunya waalakhirati wayasaloonaka 'ani alyatama qul islahun lahum khayrun wain tukhalitoohum faikhwanukum waAllahu ya'lamu almufsida mina almuslihi walaw shaa Allahu laa'natakum inna Allaha 'azeezun hakeemun (al-Baq̈arah 2:220)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और वे तुमसे अनाथों के विषय में पूछते है। कहो, 'उनके सुधार की जो रीति अपनाई जाए अच्छी है। और यदि तुम उन्हें अपने साथ सम्मिलित कर लो तो वे तुम्हारे भाई-बन्धु ही हैं। और अल्लाह बिगाड़ पैदा करनेवाले को बचाव पैदा करनेवाले से अलग पहचानता है। और यदि अल्लाह चाहता तो तुमको ज़हमत (कठिनाई) में डाल देता। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।'
English Sahih:
To this world and the Hereafter. And they ask you about orphans. Say, "Improvement for them is best. And if you mix your affairs with theirs – they are your brothers. And Allah knows the corrupter from the amender. And if Allah had willed, He could have put you in difficulty. Indeed, Allah is Exalted in Might and Wise." ([2] Al-Baqarah : 220)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ताकि तुम दुनिया और आख़िरत (के मामलात) में ग़ौर करो और तुम से लोग यतीमों के बारे में पूछते हैं तुम (उन से) कह दो कि उनकी (इसलाह दुरुस्ती) बेहतर है और अगर तुम उन से मिलजुल कर रहो तो (कुछ हर्ज) नहीं आख़िर वह तुम्हारें भाई ही तो हैं और ख़ुदा फ़सादी को ख़ैर ख्वाह से (अलग ख़ूब) जानता है और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम को मुसीबत में डाल देता बेशक ख़ुदा ज़बरदस्त हिक़मत वाला है