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اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِيْنَ هَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۙ اُولٰۤىِٕكَ يَرْجُوْنَ رَحْمَتَ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ   ( البقرة: ٢١٨ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
believed
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
and those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
emigrated
هَاجَرُوا۟
हिजरत की
and strove
وَجَٰهَدُوا۟
और जिहाद किया
in
فِى
अल्लाह के रास्ते में
(the) way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
(of) Allah -
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
they hope
يَرْجُونَ
जो उम्मीद रखते हैं
(for) Mercy
رَحْمَتَ
अल्लाह की रहमत की
(of) Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की रहमत की
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) Oft-Forgiving
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला
All-Merciful
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है

Inna allatheena amanoo waallatheena hajaroo wajahadoo fee sabeeli Allahi olaika yarjoona rahmata Allahi waAllahu ghafoorun raheemun (al-Baq̈arah 2:218)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रहे वे लोग जो ईमान लाए और जिन्होंने अल्लाह के मार्ग में घर-बार छोड़ा और जिहाद किया, वहीं अल्लाह की दयालुता की आशा रखते है। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है

English Sahih:

Indeed, those who have believed and those who have emigrated and fought in the cause of Allah – those expect the mercy of Allah. And Allah is Forgiving and Merciful. ([2] Al-Baqarah : 218)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और ख़ुदा की राह में हिजरत की और जिहाद किया यही लोग रहमते ख़ुदा के उम्मीदवार हैं और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है