كُتِبَ عَلَيْكُمُ الْقِتَالُ وَهُوَ كُرْهٌ لَّكُمْ ۚ وَعَسٰٓى اَنْ تَكْرَهُوْا شَيْـًٔا وَّهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ ۚ وَعَسٰٓى اَنْ تُحِبُّوْا شَيْـًٔا وَّهُوَ شَرٌّ لَّكُمْ ۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ࣖ ( البقرة: ٢١٦ )
Kutiba 'alaykumu alqitalu wahuwa kurhun lakum wa'asa an takrahoo shayan wahuwa khayrun lakum wa'asa an tuhibboo shayan wahuwa sharrun lakum waAllahu ya'lamu waantum la ta'lamoona (al-Baq̈arah 2:216)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया और वह तुम्हें अप्रिय है, और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें अप्रिय हो और वह तुम्हारे लिए अच्छी हो। और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें प्रिय हो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। और जानता अल्लाह है, और तुम नहीं जानते।'
English Sahih:
Battle has been enjoined upon you while it is hateful to you. But perhaps you hate a thing and it is good for you; and perhaps you love a thing and it is bad for you. And Allah knows, while you know not. ([2] Al-Baqarah : 216)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(मुसलमानों) तुम पर जिहाद फर्ज क़िया गया अगरचे तुम पर शाक़ ज़रुर है और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ (जिहाद) को नापसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बेहतर हो और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ को पसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बुरी हो और ख़ुदा (तो) जानता ही है मगर तुम नही जानते हो