وَاِذَا تَوَلّٰى سَعٰى فِى الْاَرْضِ لِيُفْسِدَ فِيْهَا وَيُهْلِكَ الْحَرْثَ وَالنَّسْلَ ۗ وَ اللّٰهُ لَا يُحِبُّ الْفَسَادَ ( البقرة: ٢٠٥ )
And when
وَإِذَا
और जब
he turns away
تَوَلَّىٰ
वो मुँह मोड़ता है
he strives
سَعَىٰ
वो कोशिश करता है
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
to spread corruption
لِيُفْسِدَ
ताकि वो फ़साद करे
[in it]
فِيهَا
उसमें
and destroys
وَيُهْلِكَ
और वो हलाक करे
the crops
ٱلْحَرْثَ
खेती
and progeny
وَٱلنَّسْلَۗ
और नस्ल को
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
love
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
[the] corruption
ٱلْفَسَادَ
फ़साद को
Waitha tawalla sa'a fee alardi liyufsida feeha wayuhlika alhartha waalnnasla waAllahu la yuhibbu alfasada (al-Baq̈arah 2:205)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब वह लौटता है, तो धरती में इसलिए दौड़-धूप करता है कि इसमें बिगाड़ पैदा करे और खेती और नस्ल को तबाह करे, जबकि अल्लाह बिगाड़ को पसन्द नहीं करता
English Sahih:
And when he goes away, he strives throughout the land to cause corruption therein and destroy crops and animals. And Allah does not like corruption. ([2] Al-Baqarah : 205)