فَاِذَا قَضَيْتُمْ مَّنَاسِكَكُمْ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَذِكْرِكُمْ اٰبَاۤءَكُمْ اَوْ اَشَدَّ ذِكْرًا ۗ فَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّقُوْلُ رَبَّنَآ اٰتِنَا فِى الدُّنْيَا وَمَا لَهٗ فِى الْاٰخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ ( البقرة: ٢٠٠ )
Faitha qadaytum manasikakum faothkuroo Allaha kathikrikum abaakum aw ashadda thikran famina alnnasi man yaqoolu rabbana atina fee alddunya wama lahu fee alakhirati min khalaqin (al-Baq̈arah 2:200)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर जब तुम अपनी हज सम्बन्धी रीतियों को पूरा कर चुको तो अल्लाह को याद करो जैसे अपने बाप-दादा को याद करते रहे हो, बल्कि उससे भी बढ़कर याद करो। फिर लोगों सें कोई तो ऐसा है जो कहता है, 'हमारे रब! हमें दुनिया में दे दो।' ऐसी हालत में आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं
English Sahih:
And when you have completed your rites, remember Allah like your [previous] remembrance of your fathers or with [much] greater remembrance. And among the people is he who says, "Our Lord, give us in this world," and he will have in the Hereafter no share. ([2] Al-Baqarah : 200)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिर जब तुम अरक़ाने हज बजा ला चुको तो तुम इस तरह ज़िक्रे ख़ुदा करो जिस तरह तुम अपने बाप दादाओं का ज़िक्र करते हो बल्कि उससे बढ़ कर के फिर बाज़ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि ऐ मेरे परवरदिगार हमको जो (देना है) दुनिया ही में दे दे हालाकि (फिर) आख़िरत में उनका कुछ हिस्सा नहीं