لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ اَنْ تَبْتَغُوْا فَضْلًا مِّنْ رَّبِّكُمْ ۗ فَاِذَآ اَفَضْتُمْ مِّنْ عَرَفَاتٍ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ عِنْدَ الْمَشْعَرِ الْحَرَامِ ۖ وَاذْكُرُوْهُ كَمَا هَدٰىكُمْ ۚ وَاِنْ كُنْتُمْ مِّنْ قَبْلِهٖ لَمِنَ الضَّاۤلِّيْنَ ( البقرة: ١٩٨ )
Laysa 'alaykum junahun an tabtaghoo fadlan min rabbikum faitha afadtum min 'arafatin faothkuroo Allaha 'inda almash'ari alharami waothkuroohu kama hadakum wain kuntum min qablihi lamina alddalleena (al-Baq̈arah 2:198)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इसमे तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने रब का अनुग्रह तलब करो। फिर जब तुम अरफ़ात से चलो तो 'मशअरे हराम' (मुज़दल्फ़ा) के निकट ठहरकर अल्लाह को याद करो, और उसे याद करो जैसाकि उसने तुम्हें बताया है, और इससे पहले तुम पथभ्रष्ट थे
English Sahih:
There is no blame upon you for seeking bounty from your Lord [during Hajj]. But when you depart from Arafat, remember Allah at al-Mash’ar al-Haram. And remember Him, as He has guided you, for indeed, you were before that among those astray. ([2] Al-Baqarah : 198)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
इस में कोई इल्ज़ाम नहीं है कि (हज के साथ) तुम अपने परवरदिगार के फज़ल (नफ़ा तिजारत) की ख्वाहिश करो और फिर जब तुम अरफात से चल खड़े हो तो मशअरुल हराम के पास ख़ुदा का जिक्र करो और उस की याद भी करो तो जिस तरह तुम्हे बताया है अगरचे तुम इसके पहले तो गुमराहो से थे