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وَاِذَا سَاَلَكَ عِبَادِيْ عَنِّيْ فَاِنِّيْ قَرِيْبٌ ۗ اُجِيْبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ اِذَا دَعَانِۙ فَلْيَسْتَجِيْبُوْا لِيْ وَلْيُؤْمِنُوْا بِيْ لَعَلَّهُمْ يَرْشُدُوْنَ   ( البقرة: ١٨٦ )

And when
وَإِذَا
और जब
ask you
سَأَلَكَ
सवाल करें आपसे
My servants
عِبَادِى
मेरे बन्दे
about Me
عَنِّى
मेरे बारे में
then indeed I am
فَإِنِّى
तो बेशक मैं
near
قَرِيبٌۖ
क़रीब हूँ
I respond
أُجِيبُ
मैं जवाब देता हूँ
(to the) invocation
دَعْوَةَ
दुआ का
(of) the supplicant
ٱلدَّاعِ
दुआ करने वाले की
when
إِذَا
जब
he calls Me
دَعَانِۖ
वो दुआ करे मुझसे
So let them respond
فَلْيَسْتَجِيبُوا۟
पस ज़रूर वो हुक्म मानें
to Me
لِى
मेरा
and let them believe
وَلْيُؤْمِنُوا۟
और ज़रूर वो ईमान लाऐं
in Me
بِى
मुझ पर
so that they may
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
(be) led aright
يَرْشُدُونَ
वो हिदायत पाऐं

Waitha saalaka 'ibadee 'annee fainnee qareebun ojeebu da'wata aldda'i itha da'ani falyastajeeboo lee walyuminoo bee la'allahum yarshudoona (al-Baq̈arah 2:186)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जब तुमसे मेरे बन्दे मेरे सम्बन्ध में पूछें, तो मैं तो निकट ही हूँ, पुकार का उत्तर देता हूँ, जब वह मुझे पुकारता है, तो उन्हें चाहिए कि वे मेरा हुक्म मानें और मुझपर ईमान रखें, ताकि वे सीधा मार्ग पा लें

English Sahih:

And when My servants ask you, [O Muhammad], concerning Me – indeed I am near. I respond to the invocation of the supplicant when he calls upon Me. So let them respond to Me [by obedience] and believe in Me that they may be [rightly] guided. ([2] Al-Baqarah : 186)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) जब मेरे बन्दे मेरा हाल तुमसे पूछे तो (कह दो कि) मै उन के पास ही हूँ और जब मुझसे कोई दुआ माँगता है तो मै हर दुआ करने वालों की दुआ (सुन लेता हूँ और जो मुनासिब हो तो) क़ुबूल करता हूँ पस उन्हें चाहिए कि मेरा भी कहना माने) और मुझ पर ईमान लाएँ