۞ لَيْسَ الْبِرَّاَنْ تُوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ قِبَلَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَلٰكِنَّ الْبِرَّ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةِ وَالْكِتٰبِ وَالنَّبِيّٖنَ ۚ وَاٰتَى الْمَالَ عَلٰى حُبِّهٖ ذَوِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنَ وَابْنَ السَّبِيْلِۙ وَالسَّاۤىِٕلِيْنَ وَفىِ الرِّقَابِۚ وَاَقَامَ الصَّلٰوةَ وَاٰتَى الزَّكٰوةَ ۚ وَالْمُوْفُوْنَ بِعَهْدِهِمْ اِذَا عَاهَدُوْا ۚ وَالصّٰبِرِيْنَ فِى الْبَأْسَاۤءِ وَالضَّرَّاۤءِ وَحِيْنَ الْبَأْسِۗ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ صَدَقُوْا ۗوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُتَّقُوْنَ ( البقرة: ١٧٧ )
Laysa albirra an tuwalloo wujoohakum qibala almashriqi waalmaghribi walakinna albirra man amana biAllahi waalyawmi alakhiri waalmalaikati waalkitabi waalnnabiyyeena waata almala 'ala hubbihi thawee alqurba waalyatama waalmasakeena waibna alssabeeli waalssaileena wafee alrriqabi waaqama alssalata waata alzzakata waalmoofoona bi'ahdihim itha 'ahadoo waalssabireena fee albasai waalddarrai waheena albasi olaika allatheena sadaqoo waolaika humu almuttaqoona (al-Baq̈arah 2:177)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
नेकी केवल यह नहीं है कि तुम अपने मुँह पूरब और पश्चिम की ओर कर लो, बल्कि नेकी तो उसकी नेकी है जो अल्लाह अन्तिम दिन, फ़रिश्तों, किताब और नबियों पर ईमान लाया और माल, उसके प्रति प्रेम के बावजूद नातेदारों, अनाथों, मुहताजों, मुसाफ़िरों और माँगनेवालों को दिया और गर्दनें छुड़ाने में भी, और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी और अपने वचन को ऐसे लोग पूरा करनेवाले है जब वचन दें; और तंगी और विशेष रूप से शारीरिक कष्टों में और लड़ाई के समय में जमनेवाले हैं, तो ऐसे ही लोग है जो सच्चे सिद्ध हुए और वही लोग डर रखनेवाले हैं
English Sahih:
Righteousness is not that you turn your faces toward the east or the west, but [true] righteousness is [in] one who believes in Allah, the Last Day, the angels, the Book, and the prophets and gives wealth, in spite of love for it, to relatives, orphans, the needy, the traveler, those who ask [for help], and for freeing slaves; [and who] establishes prayer and gives Zakah; [those who] fulfill their promise when they promise; and [those who] are patient in poverty and hardship and during battle. Those are the ones who have been true, and it is those who are the righteous. ([2] Al-Baqarah : 177)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
नेकी कुछ यही थोड़ी है कि नमाज़ में अपने मुँह पूरब या पश्चिम की तरफ़ कर लो बल्कि नेकी तो उसकी है जो ख़ुदा और रोज़े आख़िरत और फ़रिश्तों और ख़ुदा की किताबों और पैग़म्बरों पर ईमान लाए और उसकी उलफ़त में अपना माल क़राबत दारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों और माँगने वालों और लौन्डी ग़ुलाम (के गुलू खलासी) में सर्फ करे और पाबन्दी से नमाज़ पढे और ज़कात देता रहे और जब कोई एहद किया तो अपने क़ौल के पूरे हो और फ़क्र व फाक़ा रन्ज और घुटन के वक्त साबित क़दम रहे यही लोग वह हैं जो दावए ईमान में सच्चे निकले और यही लोग परहेज़गार है