وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّتَّخِذُ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَنْدَادًا يُّحِبُّوْنَهُمْ كَحُبِّ اللّٰهِ ۗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَشَدُّ حُبًّا لِّلّٰهِ ۙوَلَوْ يَرَى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْٓا اِذْ يَرَوْنَ الْعَذَابَۙ اَنَّ الْقُوَّةَ لِلّٰهِ جَمِيْعًا ۙوَّاَنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعَذَابِ ( البقرة: ١٦٥ )
Wamina alnnasi man yattakhithu min dooni Allahi andadan yuhibboonahum kahubbi Allahi waallatheena amanoo ashaddu hubban lillahi walaw yara allatheena thalamoo ith yarawna al'athaba anna alquwwata lillahi jamee'an waanna Allaha shadeedu al'athabi (al-Baq̈arah 2:165)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कुछ लोग ऐसे भी है जो अल्लाह से हटकर दूसरों को उसके समकक्ष ठहराते है, उनसे ऐसा प्रेम करते है जैसा अल्लाह से प्रेम करना चाहिए। और कुछ ईमानवाले है उन्हें सबसे बढ़कर अल्लाह से प्रेम होता है। और ये अत्याचारी (बहुदेववादी) जबकि यातना देखते है, यदि इस तथ्य को जान लेते कि शक्ति सारी की सारी अल्लाह ही को प्राप्त हो और यह कि अल्लाह अत्यन्त कठोर यातना देनेवाला है (तो इनकी नीति कुछ और होती)
English Sahih:
And [yet], among the people are those who take other than Allah as equals [to Him]. They love them as they [should] love Allah. But those who believe are stronger in love for Allah. And if only they who have wronged would consider [that] when they see the punishment, [they will be certain] that all power belongs to Allah and that Allah is severe in punishment. ([2] Al-Baqarah : 165)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और बाज़ लोग ऐसे भी हैं जो ख़ुदा के सिवा औरों को भी ख़ुदा का मिसल व शरीक बनाते हैं (और) जैसी मोहब्बत ख़ुदा से रखनी चाहिए वैसी ही उन से रखते हैं और जो लोग ईमानदार हैं वह उन से कहीं बढ़ कर ख़ुदा की उलफ़त रखते हैं और काश ज़ालिमों को (इस वक्त) वह बात सूझती जो अज़ाब देखने के बाद सूझेगी कि यक़ीनन हर तरह की क़ूवत ख़ुदा ही को है और ये कि बेशक ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब वाला है