اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَمَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ اُولٰۤىِٕكَ عَلَيْهِمْ لَعْنَةُ اللّٰهِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِيْنَۙ ( البقرة: ١٦١ )
Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieve[d]
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
and die[d]
وَمَاتُوا۟
और वो मर गए
while they
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
(were) disbelievers
كُفَّارٌ
काफ़िर थे
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
on them
عَلَيْهِمْ
उन पर है
(is the) curse
لَعْنَةُ
लानत
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
and the Angels
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
और फ़रिश्तों की
and the mankind
وَٱلنَّاسِ
और लोगों की
all together
أَجْمَعِينَ
सब के सब की
Inna allatheena kafaroo wamatoo wahum kuffarun olaika 'alayhim la'natu Allahi waalmalaikati waalnnasi ajma'eena (al-Baq̈arah 2:161)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने कुफ़्र किया और काफ़िर (इनकार करनेवाले) ही रहकर मरे, वही हैं जिनपर अल्लाह की, फ़रिश्तों की और सारे मनुष्यों की, सबकी फिटकार है
English Sahih:
Indeed, those who disbelieve and die while they are disbelievers – upon them will be the curse of Allah and of the angels and the people, all together, ([2] Al-Baqarah : 161)