كَمَآ اَرْسَلْنَا فِيْكُمْ رَسُوْلًا مِّنْكُمْ يَتْلُوْا عَلَيْكُمْ اٰيٰتِنَا وَيُزَكِّيْكُمْ وَيُعَلِّمُكُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَيُعَلِّمُكُمْ مَّا لَمْ تَكُوْنُوْا تَعْلَمُوْنَۗ ( البقرة: ١٥١ )
Kama arsalna feekum rasoolan minkum yatloo 'alaykum ayatina wayuzakkeekum wayu'allimukumu alkitaba waalhikmata wayu'allimukum ma lam takoonoo ta'lamoona (al-Baq̈arah 2:151)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जैसाकि हमने तुम्हारे बीच एक रसूल तुम्हीं में से भेजा जो तुम्हें हमारी आयतें सुनाता है, तुम्हें निखारता है, और तुम्हें किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) की शिक्षा देता है और तुम्हें वह कुछ सिखाता है, जो तुम जानते न थे
English Sahih:
Just as We have sent among you a messenger from yourselves reciting to you Our verses and purifying you and teaching you the Book and wisdom and teaching you that which you did not know. ([2] Al-Baqarah : 151)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तीसरा फायदा ये है ताकि तुम हिदायत पाओ मुसलमानों ये एहसान भी वैसा ही है जैसे हम ने तुम में तुम ही में का एक रसूल भेजा जो तुमको हमारी आयतें पढ़ कर सुनाए और तुम्हारे नफ्स को पाकीज़ा करे और तुम्हें किताब क़ुरान और अक्ल की बातें सिखाए और तुम को वह बातें बतांए जिन की तुम्हें पहले से खबर भी न थी