وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَحَيْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ۙ لِئَلَّا يَكُوْنَ لِلنَّاسِ عَلَيْكُمْ حُجَّةٌ اِلَّا الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِيْ وَلِاُتِمَّ نِعْمَتِيْ عَلَيْكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَۙ ( البقرة: ١٥٠ )
Wamin haythu kharajta fawalli wajhaka shatra almasjidi alharami wahaythu ma kuntum fawalloo wujoohakum shatrahu lialla yakoona lilnnasi 'alaykum hujjatun illa allatheena thalamoo minhum fala takhshawhum waikhshawnee waliotimma ni'matee 'alaykum wala'allakum tahtadoona (al-Baq̈arah 2:150)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जहाँ से भी तुम निकलो, 'मस्जिदे हराम' की ओर अपना मुँह फेर लिया करो, और जहाँ कहीं भी तुम हो उसी की ओर मुँह कर लिया करो, ताकि लोगों के पास तुम्हारे ख़िलाफ़ कोई हुज्जत बाक़ी न रहे - सिवाय उन लोगों के जो उनमें ज़ालिम हैं, तुम उनसे न डरो, मुझसे ही डरो - और ताकि मैं तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दूँ, और ताकि तुम सीधी राह चलो
English Sahih:
And from wherever you go out [for prayer], turn your face toward al-Masjid al-Haram. And wherever you [believers] may be, turn your faces toward it in order that the people will not have any argument against you, except for those of them who commit wrong; so fear them not but fear Me. And [it is] so I may complete My favor upon you and that you may be guided, ([2] Al-Baqarah : 150)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तुम्हारे कामों से ख़ुदा ग़ाफिल नही है और (ऐ रसूल) तुम जहाँ से जाओ (यहाँ तक के मक्का से तो भी) तुम (नमाज़ में) अपना मुँह मस्ज़िदे हराम की तरफ कर लिया करो और (ऐ रसूल) तुम जहाँ कही हुआ करो तो नमाज़ में अपना मुँह उसी काबा की तरफ़ कर लिया करो (बार बार हुक्म देने का एक फायदा ये है ताकि लोगों का इल्ज़ाम तुम पर न आने पाए मगर उन में से जो लोग नाहक़ हठधर्मी करते हैं वह तो ज़रुर इल्ज़ाम देगें) तो तुम लोग उनसे डरो नहीं और सिर्फ़ मुझसे डरो और (दूसरा फ़ायदा ये है) ताकि तुम पर अपनी नेअमत पूरी कर दूँ