وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ وَاِنَّهٗ لَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ( البقرة: ١٤٩ )
And from
وَمِنْ
और जहाँ कहीं से
wherever
حَيْثُ
और जहाँ कहीं से
you start forth
خَرَجْتَ
निकलें आप
[so] turn
فَوَلِّ
तो फेर लीजिए
your face
وَجْهَكَ
चेहरा अपना
(in the) direction
شَطْرَ
तरफ़
(of) Al-Masjid
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे
Al-Haraam
ٱلْحَرَامِۖ
हराम के
And indeed, it
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
(is) surely the truth
لَلْحَقُّ
अलबत्ता हक़ है
from
مِن
आपके रब की तरफ़ से
your Lord
رَّبِّكَۗ
आपके रब की तरफ़ से
And not
وَمَا
और नहीं है
(is) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
unaware
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
of what
عَمَّا
उससे जो
you do
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
Wamin haythu kharajta fawalli wajhaka shatra almasjidi alharami wainnahu lalhaqqu min rabbika wama Allahu bighafilin 'amma ta'maloona (al-Baq̈arah 2:149)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जहाँ से भी तुम निकलों, 'मस्जिदे हराम' (काबा) की ओर अपना मुँह फेर लिया करो। निस्संदेह यही तुम्हारे रब की ओर से हक़ है। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है
English Sahih:
So from wherever you go out [for prayer, O Muhammad], turn your face toward al-Masjid al-Haram, and indeed, it is the truth from your Lord. And Allah is not unaware of what you do. ([2] Al-Baqarah : 149)