وَلَىِٕنْ اَتَيْتَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ بِكُلِّ اٰيَةٍ مَّا تَبِعُوْا قِبْلَتَكَ ۚ وَمَآ اَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَاجَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ اِنَّكَ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ۘ ( البقرة: ١٤٥ )
Walain atayta allatheena ootoo alkitaba bikulli ayatin ma tabi'oo qiblataka wama anta bitabi'in qiblatahum wama ba'duhum bitabi'in qiblata ba'din walaini ittaba'ta ahwaahum min ba'di ma jaaka mina al'ilmi innaka ithan lamina alththalimeena (al-Baq̈arah 2:145)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी निशानी ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उसके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों में होगी
English Sahih:
And if you brought to those who were given the Scripture every sign, they would not follow your qiblah. Nor will you be a follower of their qiblah. Nor would they be followers of one another's qiblah. So if you were to follow their desires after what has come to you of knowledge, indeed, you would then be among the wrongdoers. ([2] Al-Baqarah : 145)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और अगर अहले किताब के सामने दुनिया की सारी दलीले पेश कर दोगे तो भी वह तुम्हारे क़िबले को न मानेंगें और न तुम ही उनके क़िबले को मानने वाले हो और ख़ुद अहले किताब भी एक दूसरे के क़िबले को नहीं मानते और जो इल्म क़ुरान तुम्हारे पास आ चुका है उसके बाद भी अगर तुम उनकी ख्वाहिश पर चले तो अलबत्ता तुम नाफ़रमान हो जाओगे