قُلْ اَتُحَاۤجُّوْنَنَا فِى اللّٰهِ وَهُوَ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْۚ وَلَنَآ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْۚ وَنَحْنُ لَهٗ مُخْلِصُوْنَ ۙ ( البقرة: ١٣٩ )
Say
قُلْ
कह दीजिए
"Do you argue with us
أَتُحَآجُّونَنَا
क्या तुम झगड़ा करते हो हमसे
about
فِى
अल्लाह के बारे में
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
while He
وَهُوَ
हालाँकि वो
(is) our Lord
رَبُّنَا
रब है हमारा
and your Lord?
وَرَبُّكُمْ
और रब है तुम्हारा
And for us
وَلَنَآ
और हमारे लिए हैं
(are) our deeds
أَعْمَٰلُنَا
आमाल हमारे
and for you
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए हैं
(are) your deeds
أَعْمَٰلُكُمْ
आमाल तुम्हारे
and we
وَنَحْنُ
और हम
to Him
لَهُۥ
उसी के लिए
(are) sincere
مُخْلِصُونَ
मुख़लिस हैं
Qul atuhajjoonana fee Allahi wahuwa rabbuna warabbukum walana a'maluna walakum a'malukum wanahnu lahu mukhlisoona (al-Baq̈arah 2:139)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या तुम अल्लाह के विषय में हमसे झगड़ते हो, हालाँकि वही हमारा रब भी है, और तुम्हारा रब भी? और हमारे लिए हमारे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म। और हम तो बस निरे उसी के है।'
English Sahih:
Say, [O Muhammad], "Do you argue with us about Allah while He is our Lord and your Lord? For us are our deeds, and for you are your deeds. And we are sincere [in deed and intention] to Him." ([2] Al-Baqarah : 139)