فَاِنْ اٰمَنُوْا بِمِثْلِ مَآ اٰمَنْتُمْ بِهٖ فَقَدِ اهْتَدَوْا ۚوَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّمَا هُمْ فِيْ شِقَاقٍۚ فَسَيَكْفِيْكَهُمُ اللّٰهُ ۚوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ۗ ( البقرة: ١٣٧ )
Fain amanoo bimithli ma amantum bihi faqadi ihtadaw wain tawallaw fainnama hum fee shiqaqin fasayakfeekahumu Allahu wahuwa alssamee'u al'aleemu (al-Baq̈arah 2:137)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर यदि वे उसी तरह ईमान लाएँ जिस तरह तुम ईमान लाए हो, तो उन्होंने मार्ग पा लिया। और यदि वे मुँह मोड़े, तो फिर वही विरोध में पड़े हुए है। अतः तुम्हारी जगह स्वयं अल्लाह उनसे निबटने के लिए काफ़ी है; वह सब कुछ सुनता, जानता है
English Sahih:
So if they believe in the same as you believe in, then they have been [rightly] guided; but if they turn away, they are only in dissension, and Allah will be sufficient for you against them. And He is the Hearing, the Knowing. ([2] Al-Baqarah : 137)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
पस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गए और अगर वह इस तरीके से मुँह फेर लें तो बस वह सिर्फ तुम्हारी ही ज़िद पर है तो (ऐ रसूल) उन (के शर) से (बचाने को) तुम्हारे लिए खुदा काफ़ी होगा और वह (सबकी हालत) खूब जानता (और) सुनता है